दिल्ली-एनसीआर में पर्यावरण के प्रति समर्पित कई लोग हैं, लेकिन उनमें से एक नाम है नजफगढ़ की समाजसेविका, स्मिता सिंह का। पर्यावरण से गहरा लगाव रखने वाली स्मिता ने साहिबी नदी को फिर से संजीवनी देने का बीड़ा उठाया, जो गुरुग्राम के औद्योगिक कचरे के कारण बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी थी।
साहिबी नदी, जो कभी स्थानीय समुदायों के जीवन का आधार थी, धीरे-धीरे प्रदूषण के कारण अपनी पहचान खोने लगी। उद्योगों से निकलने वाला कचरा इसके निर्मल जल को विषैला बना रहा था, जिससे ना केवल स्थानीय वन्यजीवों को नुकसान हो रहा था, बल्कि आमजन के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा था। इस स्थिति को देखकर स्मिता ने नदी को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया और वर्षों तक अथक मेहनत की।
स्मिता ने सरकारी कार्यालयों के अनगिनत चक्कर लगाए, शिकायतें दर्ज करवाईं, और समुदाय के बीच जागरूकता फैलाने के लिए हर संभव प्रयास किया। इस अभियान में कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन स्मिता का हौसला कभी कमजोर नहीं पड़ा। उन्होंने स्थानीय लोगों, पर्यावरणविदों, और सरकारी अधिकारियों से मिलकर इस समस्या को उजागर किया और नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया।
आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई। सरकार ने उनके निरंतर प्रयासों पर ध्यान दिया और साहिबी नदी की सफाई के लिए एक व्यापक योजना शुरू की गई। आज, यह नदी तेजी से साफ की जा रही है, और उसकी पुरानी छवि धीरे-धीरे लौट रही है। स्मिता सिंह के अथक प्रयासों के कारण न केवल साहिबी नदी का पुनरुद्धार हो रहा है, बल्कि आसपास का पर्यावरण भी सुधार की ओर बढ़ रहा है।
स्मिता सिंह की यह यात्रा इस बात का उदाहरण है कि किस तरह एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प और सच्चा प्रेम पर्यावरण के प्रति बड़ा बदलाव ला सकता है। साहिबी नदी की सफाई में उनका योगदान न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह प्रेरणा भी देता है कि हम सभी अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए कदम उठा सकते हैं।