अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद् स्मिता सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के अपने संकल्प के तहत 2023 की दिवाली पर एक अनोखे अभियान की शुरुआत की थी। पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के उद्देश्य से, उन्होंने स्वच्छ खबर के साथ मिलकर लगभग 20,000 पौधे बांटे। इस पहल का उद्देश्य था कि अधिक से अधिक लोग इन पौधों को लगाएं और उनकी देखभाल करें, ताकि पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सके।
हाल ही में स्मिता सिंह ने इन पौधों की स्थिति का जायजा लिया, जिसके बाद एक नई सच्चाई सामने आई। उन्होंने पाया कि इन 20,000 पौधों में से लगभग 70% पौधे या तो मर चुके हैं, खराब हो चुके हैं, या लोगों ने उन्हें लगाया ही नहीं। यह स्थिति चिंता का विषय बनी और एक महत्वपूर्ण सबक भी दी। लोगों में पौधारोपण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का अभाव इस अभियान की सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा।
हालांकि, इस अभियान में एक सकारात्मक पक्ष भी देखने को मिला। गुरुग्राम के सुल्तानपुर झील के पास स्थित धर्म गुरु मन्नू भैया जी के आश्रम में लगाए गए पौधों में से करीब 80% पौधे स्वस्थ और जीवित पाए गए। मन्नू भैया जी के आश्रम में लगाए गए अधिकतर पौधे पीपल के थे, जिन्हें आश्रम के भक्तों और सेवकों ने बेहद समर्पण और देखभाल के साथ पोषित किया। यह देखकर स्पष्ट होता है कि यदि सही तरीके से देखभाल की जाए और पौधों के प्रति जिम्मेदारी का भाव हो, तो ये पौधे न केवल जीवित रहते हैं बल्कि तेजी से विकसित भी होते हैं।
स्मिता सिंह ने कहा कि इस अनुभव से बहुत कुछ सीखने को मिला है। हालांकि, इस अभियान की सफलता पर निश्चित रूप से कुछ कहना कठिन है, परंतु उनका मानना है कि यह प्रयास एक सकारात्मक शुरुआत है। पौधों की मृत्यु और खराब होने की समस्या पर ध्यान देते हुए, स्मिता का लक्ष्य अब और भी मजबूत और प्रभावी रणनीतियों के साथ पौधारोपण को बढ़ावा देना है।
यह अभियान भले ही पूर्णत: सफल नहीं रहा हो, परंतु स्मिता सिंह का संकल्प और प्रयास पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह प्रयास जारी रहेगा और अगली बार जागरूकता बढ़ाने और देखभाल की जिम्मेदारी बढ़ाने के उपायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।