गोवर्धन महापर्व पर शनिधाम ट्रस्ट में विशेष कथा: धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी द्वारा श्री कृष्ण और शनिदेव का महिमामंडन
गुरुग्राम, हरियाणा के फ़रुख नगर रोड पर स्थित साधराणा मोड़ के पास प्रतिष्ठित शनिधाम ट्रस्ट में इस बार गोवर्धन पर्व और शनिवार के दिन एक विशेष धार्मिक आयोजन का आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी ने अपनी मार्मिक वाणी में भगवान श्रीकृष्ण और शनिदेव महाराज की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया। मनु भैया जी के प्रवचनों से उपस्थित श्रद्धालुजन मंत्रमुग्ध हो गए और सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था और भी प्रगाढ़ हो गई।
श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला का रहस्य
धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी ने कथा में विस्तार से बताया कि गोवर्धन पर्व सनातन धर्म के अद्वितीय परंपराओं में से एक है। उन्होंने श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर इंद्र देव के घमंड को चूर-चूर कर देने की कथा को सुनाया। इस कथा में उन्होंने बताया कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों की रक्षा करने और उनके प्रति प्रेम दिखाने के लिए इंद्र के प्रकोप से उनकी रक्षा की। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि अहंकार का नाश ही धर्म का सत्य है, और जब धर्म की रक्षा का समय आता है, तब ईश्वर स्वयं अवतरित होते हैं।
धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी ने कहा कि गोवर्धन पर्वत को उठाना केवल श्रीकृष्ण की लीला नहीं थी, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए संदेश है जो सनातन धर्म में विश्वास रखता है। गोवर्धन पर्वत के माध्यम से उन्होंने यह सिखाया कि प्रकृति और धर्म की रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है। गोवर्धन पूजा का तात्पर्य केवल एक पर्वत की पूजा करना नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे गहरे संदेश को समझना है।
शनिदेव की महिमा और गोवर्धन पर्व का संबंध
शनिवार के दिन आयोजित इस कथा में शनिदेव महाराज की महिमा का भी विस्तार से वर्णन किया गया। धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी ने बताया कि शनिदेव न्याय के देवता हैं और उनका प्रभाव हर किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने शनिदेव और श्रीकृष्ण के बीच के संबंध को समझाते हुए कहा कि शनिदेव सच्चे भक्तों के लिए सहायक होते हैं और उन्हें कभी भी परेशान नहीं करते। जब व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलकर अपने कर्मों का सही तरीके से पालन करता है, तब शनिदेव भी उसकी रक्षा करते हैं।
मनु भैया जी ने भक्तों से आग्रह किया कि वे शनिदेव का सच्चे मन से स्मरण करें और सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलें। शनिदेव महाराज से सभी की मंगल कामना करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर्व का उद्देश्य केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
सनातन धर्म के प्रति जागरूकता का संदेश
धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी का मुख्य उद्देश्य केवल कथा सुनाना नहीं था, बल्कि इस पर्व के माध्यम से लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक करना भी था। उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग अपने वास्तविक धर्म और परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। हमें अपने धर्म और संस्कृति की जड़ों से जुड़ने की आवश्यकता है, और यह गोवर्धन पर्व हमें इसी दिशा में प्रेरणा देता है। धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी का संदेश था कि हमें अपनी जीवनशैली में धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर एक सच्चे और ईमानदार व्यक्ति के रूप में जीवन व्यतीत करना चाहिए।
जय शनिदेव, जय गोवर्धन, जय श्रीकृष्ण
इस आयोजन के अंत में धर्मगुरु पूज्य मनु भैया जी ने सभी भक्तों को श्रीकृष्ण और शनिदेव महाराज के आशीर्वाद का स्मरण कराते हुए ‘जय शनिदेव, जय गोवर्धन, जय श्रीकृष्ण’ का उद्घोष कराया। उनका यह संदेश हर भक्त के हृदय में गूंजता रहा और श्रद्धालुजन अपने जीवन में धर्म के महत्व को समझकर शनिधाम से प्रसन्नता और शांति के साथ वापस लौटे।
इस प्रकार, गोवर्धन पर्व और शनिदेव की महिमा का यह अनूठा संगम शनिधाम ट्रस्ट में एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया, जो कि धर्म, श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण था। मनु भैया जी के प्रवचनों से लोग प्रेरणा लेकर अपने जीवन को धर्ममय बनाने के संकल्प के साथ इस महापर्व का आनंद ले सके।